Berojgari shayari in hindi 2 Lines | बेरोजगारी शायरी
कोई बतायें देश की सोई सरकारों को जगाएं कैसे, खुद को बेरोजगारी के दानव से बचाएं कैसे
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पढ़ने लिखने का अपना अलग ही मजा है। जॉब ढूंढते ढूंढते जिंदगी निकल जाये वह सजा है।
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इन सोई सरकारों को किस-किस के दिल का हाल सुनायें, बेरोजगारी की वजह से ना जाने कितने आशिकों का दिल तबाह हो गया
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बेरोजगारी का दर्द सिर्फ एक पढ़ा-लिखा युवा ही जानता है, जब वह खर्च के लिए अपने अनपढ़ पिता से पैसे मांगता है
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ज़िंदगी क्या किसी मुफ़लिस की क़बा है जिस में हर घड़ी दर्द के पैवंद लगे जाते हैं -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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इसी बेरोज़गारी ने छीना बचपन हमारा
देख रंगत ज़माने की आंखों में है लहू खारा खारा
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कोई बतायें देश की सोई सरकारों को जगाएं कैसे,
खुद को बेरोजगारी के दानव से बचाएं कैसे
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असलम बड़े वक़ार से डिग्री वसूल की और इस के
बाद शहर में ख़्वांचा लगा लिया असलम कोलसरी
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माता पिता भी अब बच्चों को पढ़ाने से डरने लगे,
कही उनका बच्चा भी बेरोजगार न रहे।
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बेरोजगारी का ये आलम है,
कि अब रिश्तदारी में जाने में शर्म आती है
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लैला नहीं थामती किसी बेरोजगार का हाथ,
मजनूं को गर इश्क़ है तो कमाने लग जाए।
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कभी गम तो कभी खुशी देखी!!
हमने अक्सर मजबूरी और बेकसी देखी!!
उनकी नाराजगी को हम क्या समझें!!
हमने तो खुद अपनी तकदीर की बेबसी देखी!!
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घर में चूल्हा जल सके इसलिए कड़ी धूप में जलते देखा है!! हाँ मैंने गरीब की सांस को गुब्बारों में बिकते देखा है!!
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दोनों का मिलना मुश्किल है!!
दोनों हैं मजबूर बहुत!!
उस के पाँव में मेहंदी लगी है!!
और मेरे पाँव में छाले हैं!!